'रिवर्स मॉर्गेज' क्या है, यह किसके लिए फायदेमंद है?

बुजुर्गों को रिवर्स मॉर्गेज अपने घर (या किसी भी बड़े एसेट) को नियमित आमदनी का जरिया बनाने का मौका देता है.

किस्त

रिवर्स मॉर्गेज होम लोन का उलटा है. इसमें एक तय अवधि तक नियमित भुगतान किया जाता है. इस भुगतान को रिवर्स ईएमआई भी कहते हैं.

सुरेश गांधी 68 साल के हैं. बड़ौदा में वह अकेले अपने घर में रहते हैं. कुछ साल पहले उनकी पत्नी का निधन हो गया था. उनकी बेटी की शादी हो चुकी है. वह विदेश में रहती हैं. बेटा मुंबई में रहता है. उनके बड़ौदा वापस आने की गुंजाइश कम है. गांधी अकेले रहने के आदी हैं. बेटे के साथ रहने के लिए वह नए शहर में शिफ्ट नहीं होना चाहते.

उन्हें दिल की बीमारी है. दवाओं पर उनका काफी पैसा खर्च हो जाता है. अपनी पेंशन से वह संतुष्ट नहीं हैं. लेकिन, रोजमर्रा के खर्चों के लिए वह अपने बच्चों के आगे हाथ नहीं फैलाना चाहते. उनके दोस्त ने उन्हें 'रिवर्स मॉर्गेज' विकल्प का सुझाव दिया है. क्या उन्हें इस विकल्प को अपनाना चाहिए?

क्या है रिवर्स मॉर्गेज?
गांधी जैसे बुजुर्गों को रिवर्स मॉर्गेज अपने घर (या किसी भी बड़े एसेट) को नियमित आमदनी का जरिया बनाने का मौका देता है. इससे घर पर से उनका मालिकाना हक भी नहीं खत्म होता है.

चूंकि गांधी के बच्चे अन्य शहरों में रहते हैं और वापस नहीं आना चाहते हैं. लिहाजा, उनके लिए रिवर्स मॉर्गेज अच्छा विकल्प है. इससे उनकी हर महीने की पैसे की समस्या हल हो जाएगी.

रिवर्स मॉर्गेज होम लोन का उलटा है. नियमित इनकम के लिए गांधी को अपने घर को बैंक के पास गिरवी रखना होगा. प्रॉपर्टी की डिमांड, उसकी कीमत और घर की स्थिति के अनुसार बैंक उनको लोन देगा.

उन्हें एक तय अवधि तक (अधिकतम 15 साल) नियमित भुगतान किया जाएगा. इस भुगतान को रिवर्स ईएमआई भी कहते हैं. इस पेमेंट पर कोई इनकम टैक्स या कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगेगा.

अवधि खत्म होने पर इनकम बंद हो जाएगी. लेकिन, गांधी जीवित रहने तक अपने घर में रह पाएंगे. जिंदा रहने तक उन्हें कोई रिपेमेंट करने की जरूरत नहीं है. रिवर्स मॉर्गेज लोन की देनदारी तभी बनेगी जब वह इस घर को बेचना चाहेंगे.

उनकी मौत होने पर बच्चों के पास लोन अदा करने का विकल्प होगा. वह चाहे तो गिरवी रखे घर को छुड़वा सकते हैं या बैंक को उसका मालिकाना हक लेने दे सकते हैं.

रिवर्स मॉर्गेज उन वरिष्ठ नागरिकों के लिए अच्छा विकल्प है जो बिना किसी पर निर्भर हुए अपनी पेंशन के पूरक के रूप में रेगुलर इनकम चाहते हैं. हालांकि, इसे अंतिम रास्ते के तौर पर देखा जाता है. सामान्य रूप से कैश की जरूरतों के लिए वरिष्ठ नागरिकों को इस विकल्प का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.


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